ॐ श्री हनुमान चालीसा

Hanuman Chalisa

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About Hanuman Chalisa

ॐ श्रीहनुमान चालीसा

This is a post where you can read the Hanuman Chalisa in Hindi and in English with all other facts of Shree Bajrangbali. Shree Hanuman is a devotee of Shri Rama, and one of the central characters in the Sanskrit epic Ramayana. He is considered by many to be an avatar of the God Shiva. Shree Hanuman is known for his strength/power, courage, wisdom, celibacy, devotion to Rama and the many names by which he was known are detailed in the Hanuman Chalisa. Jai Bajrang Bali …. !!!

Author of Hanuman Chalisa

ॐ श्रीहनुमान चालीसा

The authorship of the Hanuman Chalisa is attributed to Tulsidas, a poet-saint who lived in the 16th century CE. He mentions his name in the last verse of the hymn. It is said in the 39th verse of the Hanuman Chalisa that whoever chants it with full devotion to Hanuman, will have Hanuman's grace. Among Hindus worldwide, it is a very popular belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave problems.

Hanuman Chalisa

।। दोहा ।।


श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥


बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥


।। चौपाई ।।


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥


राम दूत अतुलित बल धामा।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥


महावीर विक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी॥


कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा॥


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

काँधे मूँज जनेऊ साजै॥


शंकर सुवन केसरी नंदन।

तेज प्रताप महा जग बंदन॥


विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर॥


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया॥


सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥


भीम रूप धरि असुर सँहारे।

रामचन्द्र के काज सँवारे॥


लाय सँजीवनि लखन जियाए।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥


रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा॥


जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते।

कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राजपद दीन्हा॥


तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना॥


जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥


सब सुख लहै तुम्हारी शरना।

तुम रक्षक काहू को डरना॥


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥


भूत पिशाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै॥


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥


संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा॥


और मनोरथ जो कोई लावै।

सोहि अमित जीवन फल पावै॥


चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा॥


साधु संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे॥


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।

अस बर दीन्ह जानकी माता॥


राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा॥


तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै॥


अंत काल रघुबर पुर जाई।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥


जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥


जो शत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई॥


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥


।। दोहा ।।


पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥

Hanuman Chalisa FAQs

What is Hanuman Moola Mantra?

Om Shri Hanumate Namah॥

ॐ श्री हनुमते नमः॥

How many times should the Hanuman chalisa be read in a day?

For regular worship single recital of Hanuman Chalisa with full devotion is sufficient for a day. But, for attaining any specific goal or wish one should recite it for 108 times in a single go without haste with full worship.

नियमित पूजा के लिए हनुमान चालीसा का एकल पाठ पूरी श्रद्धा के साथ एक दिन के लिए पर्याप्त है। लेकिन, किसी भी विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए या किसी को पूरी पूजा के साथ जल्दबाजी के बिना एक ही बार में 108 बार इसका पाठ करना चाहिए।

What is Hanuman Gayatri Mantra?

Om Anjaneyaya Vidmahe Vayuputraya Dhimahi। Tanno Hanumat Prachodayat॥

ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥